"मुझे अपने बचपन के वो दिन बिल्कुल अच्छी तरह याद हैं कि जब पिता जी के घर में घुसने पर उनकी चाल से, उनकी बॉडी लैंग्वेज से हमें ये पता चल जाता था कि आज हम लोगों को खाना मिलेगा या नहीं."
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