कमलेश्वर ने जब कहानियां लिखनी शुरू कीं तो उनके पास बिल्कुल एक नई भाषा थी. संवेदनाओं से लबरेज. पहले के कथ्य से बिल्कुल अलग हटकर एक नया कथ्य. शैली भी बिल्कुल अलग. उपन्यास रचे तो उन्होंने मील के पत्थर गाड़े.
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