नासिर रज़ा काज़मी (Naasir Raza Kazmi) के कलाम में दर्द सिमटा नज़र आता है. उनकी शायरी (Shayari) में जहां हुस्नो-इश्क़ के चर्चे हैं, वहीं इसमें हिज्रो-विसाल (मिलन-जुदाई) की कैफि़यत भी नज़र आती है...
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