Social Icons

Pages

Thursday 27 August 2020

रूह की प्यास फुवारों से कहीं बुझती है, पढ़ें इबरत मछलीशहरी की शायरी

इबरत मछलीशहरी की शायरी और ग़ज़लें (Ibrat Machlishahri Shayari And Gazals) : अब इस से बढ़ के मिरा इम्तिहान क्या होगा, मैं ज़हर पी के जिया हूँ तिरी ख़ुशी के लिए...

from Latest News लाइफ़ News18 हिंदी https://ift.tt/31zIA4a

No comments:

Post a Comment

 
Blogger Templates