Holi Poetry: मन जब भावों से ओतप्रोत होने लगता है तब इससे रंगों की तरह अलग-अलग तरह के भाव फूटने लगते हैं और जब ये भाव कागज पर शब्दों की शक्ल में उतरते हैं तो फिर मनती है कविता की होली. तभी तो सदियों से होली के उत्सव में कविताएं (Poems) और छंद अपना रंग भरते रहे हैं जो न तो किसी युग में उतरा है और न ही फीका पड़ा है.
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