बैंगलोर (Bengaluru) का वो छोटा-सा रेस्त्रां (restaurant)! कहवे की तुर्श-मीठी खुश्बू पसरी हुई थी. छोटी-छोटी चुस्कियां लेते बात निकली. चिट्ठियां! उनका जमाना अलग ही था. चिट्ठी (letter) में शुरू से आखिर तक हिज्जों (spelling) का घमासान हो लेकिन प्यार में डूबी हो तो पढ़ने वाला मान ही जाता. कॉफी (coffee) का सुरूर चढ़ा. आज हम 9 भाषाओं (languages) में इज़हार-ए-मोहब्बत से लेकर इज़हार-ए-जंग कर रहे हैं.
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