सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की कविताएं (Sarveshwar Dayal Saxena Poem): भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं, उसे तब तक घूरो, जब तक तुम्हारी आंखें सुर्ख न हो जाएं...
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