मिर्ज़ा ग़ालिब शेर और शायरी ( Mirza Ghalib Shayari): हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले...
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