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Tuesday, 28 April 2020

तड़प उठूं भी तो ज़ालिम तेरी दुहाई न दूं, अहमद फ़राज़ की शायरी में पढ़ें मोहब्बत

अहमद फ़राज़ की शायरी (Ahmad Faraz Shayri) : दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है, जो किसी और का होने दे न अपना रक्खे...

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