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Sunday 25 April 2021

सुदामा पांडेय धूमिल की कविताएं: 'लोहे का स्वाद', 'उस औरत की बगल में लेटकर' और 'कुत्ता' 

धूमिल को यथार्थवादी कवि माना जाता है. उनकी कविताओं में भरपूर तल्खी है. व्यवस्था और समाज के प्रति विद्रोह है. लेकिन यह तल्खी हो या विद्रोह - कहीं से भी आसमानी या हवा-हवाई नहीं हैं.

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