दुनियाभर में हर पांचवें बच्चे में एंग्जाइटी के लक्षण मिल रहे हैं. चिंता की बात ये है कि परिजन इसे सामान्य मानते हैं, जो कि नुकसानदायक है. यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार बच्चों के पास समस्या बताने का टूल नहीं होने से वे ऐसे रिएक्ट करते हैं कि वो रोजाना के कामों को भी करने से मना कर देते हैं.
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