दुकान के संचालक निशांत साहू ने कहा कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी पढ़ाई भी नहीं उतनी कर पाए थे. परिवार की माली हालत को देखते हुए उन्होंने 5 किलो दाल के पापड़ घर पर हाथ से ही तैयार किया और फिर उसे बाजार में बेचा जिससे उन्हें 100 रूपये का मुनाफा हुआ इसके बाद उन्होंने यह काम धीरे-धीरे बढ़ाना शुरू किया.
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